QUOTES ON #तारा

#तारा quotes

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23 NOV 2020 AT 9:06

भले तुम पर कोई उंगली उठाये, चाहे फैलाये अफवाह सी,
मुझे किसी की परवाह नहीं, तुम हो ही पवित्र पंचकन्या सी!

भले छली हो तुम इंद्र से, चाहे रही प्रेम अभिशप्त शिला सी,
होगा मिलन जब सदियों बाद, हो लोगी पवित्र अहिल्या सी!

होंगे कितने तेरे शरीर के मालिक, चाहे तेरा अपमान हुआ,
पर तू ही होगी मेरी अर्द्धांगिनी, ह्रदय स्वामिनी द्रौपदी सी!

भले ही भूल से संसर्ग हुआ, चाहे मजबूरी से नियोग किया,
पर तुम हो आदर्श जीवनसंगिनी, तुम शीलवती कुंती सी!

भले चाहते तुमको बहुतेरे हो, चाहे कोई ना तेरी बात मानी,
अंतर्मन से तुमने मुझे स्वीकारा, दिल दूरदर्शिता तारा सी!

भले सर्वश्रेष्ठ से प्रणय किया, चाहे सलाह तेरी अनदेखी हुई,
उपरांत सब के मुझे वरण किया, तुम साथ मेरे मंदोदरी सी!

तन का नही है अस्तित्व प्रेम में, ना दिमाग से कुछ होता है,
अहसास की है प्रेमकहानी, मन से, मन सी और मन की सी! _राज सोनी

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2 APR 2020 AT 20:58

मैं नासमझ सही
पर वो तारा हूं जो......
तेरी एक
ख्वाहिश के लिए,,
सौ बार टूट जाऊं......!!

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24 FEB 2019 AT 8:53

तुम मेरे आकाश का वो तारा हो
जो अटल है
मेरे जीवन की ध्रुवतारा तुम और
हृदय पटल है

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17 AUG 2018 AT 0:23

धरा शोक संतप्त, मगर गगन इतरा रहा है
धरा की आँख का तारा, जगमगाने जा रहा है

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9 MAY 2018 AT 22:16

देख रहा हूँ आसमान में एक अद्भुत नजारा
न कोई बादल न चाँद न ही कोई तारा
कुदरत के इस ब्लैकबोर्ड पर किसने डस्टर फेरा
मिटा डाला सूरज भी, कैसे हो अब सवेरा

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19 MAR 2020 AT 21:05

खो देना
आसान नहीं है
हज़ारों अधूरी मिन्नतें देख
आसमान ने खो दिया
अपने हृदय का एक टुकड़ा
और हमने समझा
कोई तारा टूट रहा है आकाश से

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17 MAY 2017 AT 19:47

गर्दिशों का मतलब समझ जाओगे तुम
देखोगे जब किसी चाँद को
तारों से दुआ मांगते हुए

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19 NOV 2020 AT 8:27

#तारा❣️

सच कहते है लोग
लकीरे सब बया करती है
तभी तो उन महिलाओं की कोई
किस्मत नहीं होती
जो बर्तनों पर हाथ घिसती हैं

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7 APR 2018 AT 6:08

तारों से तेरी बातें करता हूँ रात भर
टूट न जाये कोई डरता हूँ रात भर

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19 DEC 2017 AT 6:40

आसमान में तारों की रासलीला देखते देखते सुदूर अंतरिक्ष में प्लूटो से भी कई प्रकाश वर्ष आगे एक नारंगी पुच्छल तारा दिखाई दिया। विचारों के टेलिस्कोप से हर रोज घंटो उस तारे का अध्ययन करने लगा। उसकी पूँछ से कई छोटे बड़े सितारे हर पल जन्म ले रहे थे।

कई लेखक अपने कलम के अंतरिक्ष यान पर सवार हो उस तारे पर उतरने लगे। मुख पर हर्ष और हृदय में प्रेम लिये सभी एक दूसरे के विचारों को सराह रहे थे।

लेखकों की संख्या के साथ साथ तारे का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था और उसकी चमक दूर दूर तक दिखाई देने लगी थी। आने वाले दिनों में ये तारा लेखकलोक के नाम से जाना जाएगा।

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