तो क्या हुआ कि तुम अकेले हो ....
नुमाइश में सितारों की महताब तन्हा ही होता है!-
तुम्हारे लफ़्ज़ों में वो सुकून कहां है।
मेरी खामोशी में जो ताक़त है।-
कभी कभी ज़िंदगी में कुछ मुश्किलें यूँ हमारे समने आ जाती की हम घबरा जाते हैं
ओर सोचने लगते हैं की हम क्या करे ?
पर अगर आराम से ज़िंदगी की मुश्किलों को देखोगे तो यह पता चलेगा की अगर भगवान मुश्किलें देता हैं तो उनसे लड़ने की ताक़त भी देता हैं-
यादों में भी ताक़त होती हैं ,
जिससे तुम मिल नहीं सकते,
उसको ही सामने देखते हैं ।-
पैगाम भेज रहे हैं मर्द, 'तलाक़ तलाक़ तलाक़',
औरतों की क्या इतनी ही रह गयी है औक़ात?
हुकूमत, अब तो सुन लो ज़रा बीवियों की बात,
ज़्यादा ताक़त देकर उनको, सुधारो ये हालात।-
अगर मिल जाये तेरा एक ईशारा मुझे
दुनियाँ से छीन लूँगी एक पल में तुझे
मत समझना की मैं भूल जाऊंगी तुझे
रब से हर दुआओं में माँग लूँगी तुझे
प्यार के सारे वादे निभाने के लिये
साथ अपने हमेशा रखूंगी तुझे
अगर दुनियाँ में ताकत से ही मिलता है सब
तो ताक़त से ही पा लूंगी तुझे
ज़िंदगी के इस सफ़र में चलना है जब साथ
तो हमसफ़र बना के साथ ले लूंगी तुझे
अगर तू होगा मुझसे दुर कहीं तो
तस्वीर तेरी दिल में रखके चाहा करूँगी तुझे
तेरी हर खुशी को अपने रंगो में रंग के
जीवन में सबसे ज्यादा अजीज समझूंगी तुझे-
तू औरत है!
तू सशक्त है, तू शेष है।
तू आदि हैं तू अंत है ।
त्रिशूल की शूल तू, वीरता की वीर तू ।
तुझ से ये संसार हैं, तुझ से ये प्रकाश है।
तू माँ है, है तू संगिनी ।
ममत्व तेरा सिंगार है, काल तेरा लिबास है ।
तू औरत है, तू सरिता है।
समझ न इनको भूल तू।
ये तेरा रूप है, ये तेरा स्वरूप है।
पहचान खुद को,
तू बंदिश नहीं, तू कैदी नहीं।
तू आजाद हैं,
तू बुलंदी है, तू शोहरत है ।
तू औरत है, तू औरत है!!!-
शिद्दत से गुफ़्तगू को रोक दिया जाय|
जुबाँ पर अब ताला लगा दिया जाय|
खुद से मुलाक़ात, खुद की पहचान ख़ातिर,
मौन की ताक़त को आज़मा लिया जाय|
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जो दूसरों की कमज़ोरियों पर नज़र रखता है वो ख़ुद मज़बूत नहीं हो सकता।
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