गुज़ारिश किसी की कभी तो सुनो तुम
दिलों की मोहब्बत अभी तो सुनो तुम
शिकायत, हिक़ारत, तग़ाफ़ुल, बग़ावत
निगाहों में उसकी नमी तो सुनो तुम
मोहब्बत नहीं है बता दो उसे फिर
तख़य्युल में उसकी कमी तो सुनो तुम
तसव्वुर ही करते रहे हो अभी तक
बसीरत से कुछ पल ग़मी तो सुनो तुम
मुरत्तब नहीं है हमारी मोहब्बत
क्यों बिगड़ा है 'आरिफ़' सही तो सुनो तुम
-