मेरे बिस्तर की उन तलवारों से कोई तो गुफ्तगू करे, वे शायद कुछ कहना चाहती हैं; शब (रात) भर इठलाती हैं, कौन जाने आखिर मुझसे क्या चाहती हैं; कुछ तो मजमून (बात) है इनमें जो इतना खड़कड़ाती हैं, रातों को खुशनुमा, दिनों को महरूम (मृत) कर जाती हैं|
दो अलग अलग धर्मों के लोगों में लड़ाई हुई, तलवार का जवाब तलवार से मिला, दोनों तरफ के इंसान मरे, दोनों तरफ की इन्सानियत मरी, अंत में बस कुछ बचा तो वो था जिनसे लोग मरे वो "तलवार'..!!!! :--स्तुति