चलो जो अब न हुआ उसकी कुछ नुमायीश किया जाये ऐसे भी क्या कुछ किया जाये तमासा दुनियाँ बनाये तो बेहतर हैं अवन जो तेरे ज़बान से कुछ निकले तो क्या क्या कुछ न हो जाये!!
कुछ तो बोल तेरी ख़ामोशी का इरादा क्या है? कभी मज़बूरी कभी लाचारी ये तमासा क्या है? बिछड़ना है अगर मुझसे तो हँस के बिछड़ जा... वफ़ा के बदले बेवफाई का ये तमाचा क्या है?