दुपट्टा है उनके सर पे, पलकें झुका कर बैठे हो दोनों...
वो भी चुप हैं तुम भी चुप हो, पहली-पहली मुलाकात है क्या।।
वादा किया था उसने, यूँ पूरी जिंदगी साथ बिताने का...
छोड़ा बीच सफर में उसने, किसी और से ताल्लुकात हैं क्या।।
वो बेसहारा चंद पैसे जुटा रहा था, माँ की इलाज के वास्ते...
उस बेबस की मदद नहीं की, मर गये तुम्हारे जज्बात हैं क्या।।
ईमान डोलता नहीं था कभी, मिसाल हुआ करते थे तुम...
यूँ गुस्ताखियाँ करने लगे हो, कोई और भी तुम्हारे साथ है क्या।।
दौलत उड़ा रहे थे पहले, यूँ मनमर्जी से बेहिसाब तुम...
अब पाई-पाई जोड़ रहे हो, घर के बुरे हालात हैं क्या।।
खुशमुख थे तुम-हंसमुख थे तुम, यूँ जिंदादिल थे "नवनीत"...
ख़ामोश-खोये से रहते हो आजकल, कोई बात है क्या।।।
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