कि कुछ तो, तन्हाई की रातों में सहारा होता, चलो तुम न होते न सही, ज़िक्र तुम्हारा होता, हम खोए रहते बस इक तुम्हारे ही ख़्यालों में, तुम, हौले से आ छूती, हाय क्या नज़ारा होता... — % &
ना मुझे अकेला छोड़ती है ना किसी और का होने देती है मेरी तन्हाई मुझसे जलने लगी है बड़े काम की है तनहाई मीरा में रोज तेरी ही बातें करता हूं कहता हूं MEERA वही लड़की है जिसे मैं अपने ख्वाबों में देखता हूं तेरी तस्वीर मेरे दिल में बस गई है उसे ही निहारता रहता हूं जब भी देखता हंसता हुआ चेहरा तेरा प्यारी आंखों में डूब जाने को दिल करता है तेरे बालों की घनी छांव में सो जाने को दिल करता है तेरे पास आने को दिल करता है तुझे पाने को दिल करता है