QUOTES ON #डोली

#डोली quotes

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7 JUL 2020 AT 8:24

बाबुल के घर से चली पिया के घर को, अरमानों की डोली कहारो के कंधे पर!
गुनगुनाते, बतियाने का जिम्मा, दुल्हन हो जाये ना उदास, कहार के कंधे पर!
रानी की तफरीह, राजा का सैर, तो भी तलवार लटकी रहती कहारो के कंधे पर!
महाकाल का भ्रमण, माँ दुर्गा का विसर्जन, ये भी जिम्मेदारी, कहारों के कंधे पर!
छिल जाए कंधे, थक जाए चाहे पांव,पर रुकने पर खैर नहीं, कहारों के कंधे पर!
कुछ इनाम का लालच, कुछ वारी की उम्मीद, चलता है घर, कहारों के कंधे पर!
लूट गई अगर डोली, भूले अगर रास्ते, बेवजह की शामत, कहारों के कंधे पर!
रस्मों की दुहाई, परम्परा के नाम पर, कब तक होगा शोषण, कहारों के कंधे पर!
सर्दी, गर्मी, बारिश, हो चाहे पतझड़, कब आएगा सावन, कहारों के कंधे पर!
_राज सोनी

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4 JUL 2020 AT 17:02

हमनें यूँ तो दुश्मनी निभाई रश्क रखनेवाले से,
काश..क्भी चाहनेवाले पर ग़ज़ल लिखी होती!

हमने लिखी है चाँद सितारों पर रूमानी गज़लें,
काश..तक़दीर के मारों पर ग़ज़ल लिखी होती!

हमनें की फूलों और कलियों की ख़ैर-मक़्दम,
काश..उजड़े गुलिस्तां पर ग़ज़ल लिखी होती!

हमनें सागर के उफनते हुए यौवन को सराहा,
काश..संजीदा साहिलों पर ग़ज़ल लिखी होती!

जो आदतन करते रहे हसीं जिस्म का सौदा,
काश..उनकी बदकारी पर ग़ज़ल लिखी होती!

हमनें उगते हुए सूरज को किया है नमस्कार,
काश..ढलते हुए सूरज पे ग़ज़ल लिखी होती!

हमारी तवज्जो होती रईस की डोली की तरफ,
काश..मजबूर कहारों पर ग़ज़ल लिखी होती!
_Mr Kashish

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20 MAR 2021 AT 16:17

UK-THE UNTOLD STORY
🌼🌿🌺 "दर्द-ए-UPSC" 🌼🌿🌺

वो करती रही... बेसब्री से इंतज़ार मेरा,
मैं कठिन परिस्थितियों से लड़ता रहा..।
वो डोली में बैठ कर ससुराल चली गई,
और मैं किताबों को बैठकर पढ़ता रहा।

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22 APR 2018 AT 16:43

मेरी अर्थी और उसकी
डोली का दिन आने वाला है,
समय ऐसी नियति रचाने वाला है,
मेरी सांस जाने वाली है,
और उसका दिल किसी
और के हिस्से आने वाला है...

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4 APR 2019 AT 18:33

मेहंदी लगा के, बिंदिया लगा के
बैठी थी उनके नाम की
अंग-अंग में गीत सजा के
बैठी थी हर उस शाम की
मस्त मग्न सी, हंसती हुई
ताक में थी बारात की
गाड़ी अाई ना घोड़ी अाई
अाई बस खत जनाब की
मजबुर हूं कहते है वो
हांमी नहीं परिवार की

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13 JUN 2020 AT 12:19

💐💐Part:३ उसका जनाजा 💐💐
मैं जब भी उठा मुझे उसकी याद आयी
हरबार की तरह आज भी उसकी याद आयी
मगर अब किसे बया करे ,हम अपने दिल का दर्द,
कल गई वो डोली में,और आज अर्थी के साथ आए है

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22 NOV 2019 AT 9:29

उसके डोली के साथ, मेरा जनाजा भी लेते जाना
बस है गुजारिश इतना, जाते जाते मेरा हस्र दिखाते जाना

बेवफाई उसकी, सजा मुझको बताते जाना
ख्वाहिश थी इतनी, जाते जाते जनाजे को बेवफा का मुखड़ा दिखाते जाना
खुश रह सदा, ऐसे ही रहे तेरी अदा , ये दुआएं भी उसको देते जाना
जाते जाते उसका मुखड़ा दिखाते जाना
हो किसी की, कहलाएगी मेरी मोहब्बत बताते जाना

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5 FEB 2020 AT 1:35

जा मेरे हिस्से की मेहन्दी भी तुझपर लगे
मेरी अर्थी के फूल भी तेरी डोली पर सजे

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4 JAN 2020 AT 23:54

लगता है जैसे पलक झपकते ही बचपन बीत गए
जब पीहर से दीदी के क़दम ससुराल की ओर गए

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18 AUG 2017 AT 19:34

दिल्या घरी तू सुखी रहा...
यानी कि इस घर से तुझे बिदा कर
जिस घर में तुम्हारी नयी जिंदगी तुम शुरु करोगी वहां सुखी रहना...
नम आंखों से गिरते आंसुओं के झरनों में बस इसी संदेश की तैरती कागजी कश्तियाँ पाती हैं वह...
भरमाती होगी ही वह भी...
कि ये आशिर्वाद ही हैं या...
की जा रही हैं मुझे मेरी विवशता का एहसास...
डोली से अरथी तक सिमटा दी जाती हैं जिंदगी यहां
कैसी विडंबना है यह भी
सुख में जीती हैं कभीकबार
या फिर सुखी होने के दिखावे में मरती है हरबार
कौन है ऐसी विवशता का जिम्मेदार
सिर पर प्यार भरा हाथ रखता बाबुल
दहेज या मर्यादा में रखने के लिए हाथ मरोड़ता ससुराल
या फिर इंसाफ के लिए पुकारती जुबां पर हाथ रखता समाज...
जवाब हैं किसीके पास इन सवालों का
पानी में रहकर मछली से बैर न करने की सोच
विवश बना गई हैं हमें...

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