QUOTES ON #डगर

#डगर quotes

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26 SEP 2018 AT 2:47

तुमसे अब और दूर, नहीं रह पाया
तुम्हारी ही डगर देखो मैं, लौट आया

दौलत हो तुम मेरी, मैं तुम्हारा सरमाया
धड़कन से जुदा दिल, कब है जी पाया

ना दिन मैं चैन कभी, ना रात में सो पाया
अश्क़ों से कर ली यारी, मैं नहीं मुस्कुराया

मैंने उस एक शब से, कुछ पेट भर न खाया
कुछ खिला दो ना, वक़्त न करो और ज़ाया

हो गया है इल्म, तू है जिस्म मेरा, मैं तेरा साया
न जाने क्या लिखा लकीरो में, क्या चाहे ख़ुदाया

डूबा हूँ तुम में कुछ इस क़दर, मैं ना उबर पाया
जब से बिछड़ी हो तुम मुझसे, मैं 'मैं' ना रह पाया

तुम्हारी ही डगर देखो... मैं लौट आया

- साकेत गर्ग 'सागा'

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12 JUN 2020 AT 7:05

:-एक परदेशी:-

अक्सर अब आँखों में पानी भर जाता है
याद कभी जो मुझे मेरा घर आता है

आने वाला कल होगा आज से बेहतर
रोज यही सोचकर दिन गुजर जाता है

अब किससे करें हम बातें दिल की
परदेश में कहाँ कोई अपना नजर आता है

बहुत से रास्ते सफर में आये मगर
याद हमेशा गाँव का ही डगर आता है

नही हो पाते शामिल किसी भी मौके पर
अब तो बस अच्छे-बुरे का खबर आता है

तक़लीफ़ में हूँ मैं पर खुश हैं मेरे घरवाले
बस यही सोचकर मुझको सबर आता है

गम की धुप में भी खुद को हरा-भरा रखा हूँ
क्योंकि सुख जाये पेड़ तो कहाँ शज़र आता है

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5 MAR 2020 AT 7:54

ज़हन में मैं ऐसा सफ़र सोचता हूँ,
जुदा सबसे अपना मुकाम सोचता हूँ!
मेरे दिल से तेरे दिल तक, मैं पहुँचूँ,
बने ऐसी कोई डगर, मैं सोचता हूँ!
चलो इस बहाने मैं तुम से मिलूंगा,
बुरा क्या है खुद पे अगर सोचता हूँ!
मुक़म्मल मेरा फ़ैसला क्यूँ न होगा,
मैं हर बात पे सिर्फ तुम्हे सोचता हूँ!
बहुत मिल चुका ख़्वाबों में अब तक,
मिलन की मैं सूरत दिगर सोचता हूँ!
उधर जान लेते है जाने वो कैसे,
वो हर बात जो मैं इधर सोचता हूँ!
पराया मैं खुद को भी लगता हूँ उस दम,
मैं रिश्तों से ज़्यादा तुम्हे सोचता हूँ!

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8 JUN 2020 AT 15:11

न जाने कब मेरे दिल में ,प्यारा सा घर बन गया,
जिस राह वो चले , मेरा सहारा डगर बन गया।
तंग थी जो गली तन्हाई में , कई मुद्दत से , अब
मैं और तुम से अलग , हमारा शहर बन गया।

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28 JUN 2019 AT 9:43


हद बदहवास है प्रेम डगर जानां,
धुनों पर थिरकना कोरा झूठ है ।।

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7 MAY 2020 AT 17:36

चले कुछ दूर फिर आधे डगर से लौट आए,
कि काफ़िर बन के हम कैद-ए-नज़र से लौट आए!

गए थे आरज़ू में हम निगाह-ए-नाज़ की...
ये राज़-ए-दिल लिए उनके शहर से लौट आए!!

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26 SEP 2020 AT 10:51

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17 JUL 2020 AT 6:37

छोड़ दो ये अगर मगर,
यदि पाना है सही सफलता,
तो पकड़ो अपने मेहनत का डगर।।

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शायद 🤔 मैं सफर में था !
या फिर शायद मैं किसी डगर में था ।

सुलझाने को अपनी हर सिफ़र की कहानी,
न जाने अब तक किस अधर में था ।

कुछ अनसुलझी की गुत्थियों का पिटारा लिए ,
शायद अब तक मैं अपने ही घर में था ।।



(सिफ़र= शून्य)

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16 MAY 2019 AT 22:05

अच्छा होता
कुछ कर भी जाते अगर . .

अच्छा होता
चल जाते दो कदम एक डगर . .

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