सीख जाओ तुम अकेले चलना,
हालातो के अनुसार ढलना,
राह में पत्थर बहुत मिलेंगे,
ठोकरे खाना और संभलना।
सीख जाओ तुम अकेले चलना....
निशां पैर के मिल भी जाये,
कभी न उस पथ पर तुम चलना,
निश्चित कर अपनी मंजिल को,
तब संभव मंजिल का मिलना।
सीख जाओ तुम अकेले चलना....
न कभी किसी से तुलना करना,
न औरो के सांचे में ढलना,
ऊँचाई पर पहुँचोगे तब,
शुरू करेंगे लोग कुचलना,
थोड़ा रुकना औऱ संभालना,
सीख जाओगे अकेले चलना....
हालातो के अनुसार ढलना।
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