वो दूर का सितारा हमराज़ है हमारा,
रातों में नूर बन के देता रहा सहारा.!
तन्हाइयों में महफ़िल शादाब हो रही है,
हसरत हमारे दिल की बेताब हो रही है,
चमका है चाँद जैसे किस्मत का टूटा तारा!
वो दूर का....
गाती हैं गीत जैसे बहती हुई हवाएं,
उल्फ़त की अंजुमन में महक़ी हुई दुआएं,
बहते हुए अचानक हासिल हुआ किनारा!
वो दूर का...
सिद्धार्थ मिश्र
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