QUOTES ON #झोपड़ी

#झोपड़ी quotes

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2 MAY 2018 AT 11:14

कैसा है ज़िन्दगी में, नफ़रत का प्रावधान,
दौलत में ढूँढते हैं, उलझन का समाधान,
हर झोपड़ी है कहती, अतिथि देवो भवः,
हर बंगले पर लिखा है, कुत्ते से सावधान..

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12 JAN 2019 AT 11:58

न झोपड़ी जलाओ न महल जलाओ
न गाँव जलाओ न शहर जलाओ
जलाना ही हो तो मिलकर जलाओ
दिलों में पलता ज़हर जलाओ

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10 JAN 2018 AT 20:15

रात की तन्हाई में महलों का सन्नाटा चीख कर रोता है
और झोपड़ी का शोर सुकून और शांति से मीठी नींद सोता है

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6 FEB 2020 AT 11:05

हमारे घर मे आग लगा के कहा जाओगे तुम।
ये धुँआ तुम्हारे दिल मे जाएगा,क्या दिल को जवाब दे पाओगे तुम।
हम तो फिर घर बना के अपने बच्चों को पाल लेगे....
क्या ये सच्चाई अपने बच्चों को बता पाओगे तुम।

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21 DEC 2020 AT 18:46

मुझे कभी सर्दिया अच्छी न लगी,
बचपन में हल्कू की कहानी से लेकर,
झोपड़ी में कांपती जवानी तक ।

सर्दियों का आनन्द सिर्फ,
सैलानियों को मिला है,
जो बर्फ में मोटे कपड़े पहन,
अठखेलियाँ करते हैं।
या शायद,
मैं,
प्रेमी,
वियोगी कवि या
मुफ़्लस इंसान नही हूँ।

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22 AUG 2017 AT 18:30

कोई झोपड़ी बनाता है,
कोई महल बनाता है।
कोई हाइकू लिखता है,
कोई ग़ज़ल बनाता है।
कवि तो बस कोशिश करता है,
पाठक ही उसे सफल बनाता है।

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8 JUN 2018 AT 20:49

ये बारिश हर किसी के दिल को सुकून लाएगी,
कभी सोचा है कि इस बारिश उस ग़रीब झोपड़ी भी बह जाएगी.....

जहाँ बुनते कुछ ख्वाब अब मिट्टी मैं मिल जाएगे
रातों की नींद अब टपकटी बूंदों में घुल जाएगी

कभी सोचा है कि इस बारिश उस ग़रीब की झोपड़ी भी बह जाएगी.......

छोटे छोटे तिनको से समेटती जिंदगी अब बाढ़ में मिल जाएगी
ख्वाइशो की पोटली अब आँधी में बह जाएगी

कभी सोचा है कि इस बारिश उस ग़रीब की झोपड़ी भी बह जाएगी.......



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12 JUL 2020 AT 18:39

✍️✨झोपड़ी, भीख एवं भिखारी की अर्ज़✨✍️
(काल्पनिक)
मित्रों.........
टूटी झोपड़ी में रहकर मैंने, किसी का घर नहीं उजाड़ा।
फिर क्यों? न जाने इस जमाने ने सब मेरा ही बिगाड़ा।


लोगों ने...........
न मांगने पर भी जबरदस्ती चवन्नी फेंक खरी खोटी सुनाई।
ऐसा करते देख उन बड़े नादानों पर मुझे बहुत तरस आई।


पता नहीं क्यों..........
मुझे बेवजह गालियाँ देकर मेरा अपमान किया पर, मैं शांत था।
कलहों में हिस्सेदारी के शौकीन हम नहीं, हमें भाता एकांत था।

हे ईश्वर!...........
हो सकता है मैंने जन्म लेकर गलत किया हो!
इन बेचारों की हरकतें माफ करना।
पापी तो मैं भी हूँ! बहुत यूँ शिकायतें करता हूंँ।
इबादत है तुझसे! ठीक इंसाफ करना।

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पाया नही अगर कुछ ,
तो खोया भी नही रिश्तों को .......
महलों की ख्वाहिश है अगर अधूरी तो ,
झोपड़ी अब तक सलामत है .....

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18 FEB 2019 AT 17:13

सारे राज दफन होते हैं ऊंचे महलों में
झोपड़ियों से तो सांसों की आवाजें भी बाहर आती है ।

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