तुम्हारी याद जैसेही आती है,
दिल हो जाता जज्बाती है
जितना भी चाहूं भुलाऊं उसे,यह उतना ही तड़पाती है सोना भी चाहूं जी भरके,झकझोर के नींद उठाती है
दिन तो जैसे तैसे गुजरा ,मुश्किल ही बीते राति है
आंखों आंखों में श़ब बीती ,लो आही गई परभाती है हंसना जो चाहा खुल करके, यह उतना मुझे रुलाती है कितना भी मैं तड़पू बिलखूं, उनकी तो ठंडी छाती है जितना भी चाहूं दूर रहूं ,वो उतना ही भरमाती है
कमसिन है उनकी उम्र अभी,मेरी तो पाछली पाती है
जो पाया वह था किस्मत का,यूं नहीं मिला खैराती है उनकी यादों के सिवा है क्या,यही तो जीवन की थाती है
तुम्हारी याद जैसे ही.......
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