कभी कभी तन्हाई दिल को भाती है,
जब भी दिल को याद तुम्हारी आती है,
डीपी तुम्हारी देख के खुश हो लेते हैं,
जब भी तुमसे बात नहीं हो पाती है..!
मुश्किल होता है दिल को समझाना अब,
काश मेहरबान मुझ पे होते उनके लब,
फुर्सत का कुछ वक्त मिलेगा आख़िर कब?
फ़ितरत से नादान वो मेरा साथी है.! कभी...
तेरे गम में डूबी काली रात मिली,
इश्क़ में मुझको अश्क़ों की सौगात मिली,
खोकर तुमको हम कैसे जी पाएंगे.?
प्यार में बेशक़ कह दो हम जज़्बाती हैं.! कभी...
सिद्धार्थ मिश्र
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