एक सोच
क्या आप हर रोज दाल - चावल खा सकते हो... 'नहीं'
हर दिन तलाश होता है कुछ नया कुछ अलग... कुछ tasty खाने का,, कभी ऐसा भी होता है कि हम अपनेfavourite
Dish बार बार खाना चाहते हैं,, पर वो dish अगर बार बार खाते रहते हैं तो,,, फिर हमारा मन किसी दूसरे Dish की तलाश मे लग जाता है....
अब बात करते हैं रिश्तों की...हमारे लिए रिश्ते ईन खानों की तरह भी हो सकते हैं.. हर रिश्ते का अलग गुण अलग स्वभाव होता है.... अब आप चाहोगे की जिससे आप प्यार करते हो,, या जो आपसे करता है वो सिर्फ आप से ही करे,, तो ये तो मुमकिन नहीं है... हर इंसान में कोई दाल है, कोई चावल, कोई चिकन, कोई गुपचुप, कोई समोसा तो कोई पकौड़ी.. 😊.. 'है न?'....
मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि किसी के जिंदगी का favourite dish बनो,,, पर उसे force न करो की वो सिर्फ तुम्हें खाए,,, अपने अजीज इंसान को इतना freedom दो की वो कुछ भी खा सके.... 😊हर रिश्ते को बंधन से आजाद कर दो और उसे इतनी मोहब्बत और इतना सम्मान दो की, वो हर तकलीफ और हर खुशी मे सबसे पहले तुझे याद करे...
ये मेरी छोटी सी ख्वाहिश है कि हर रिश्ता आजाद हो..
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