मेरे बचपन की चहकी कलियां ,
कभी चटकी नहीं बहारों में .....
हमने खुदसे जोड़ना चाहा बहुत, लोगों को ,
पर फिर भी वो साथ मिला नहीं यारों में ......
आज बैठकर सोच रहे हैं, बीते कल की बातों को,
कि मिलती नहीं दौलत से खुशियां बाजारों में ....
पाया है जो कुछ भी आज तक,
गम-एे-मुस्कान के रूप में ,
इसके लिए हमने सालों से किए हैं मजारों में.......
-