दिल की ताक़ पे चराग जलाने आऊंगा,
मैं तुमको फिर एहसास दिलाने आऊंगा!
मेरे इश्क की इंतेहा तुम सह ना पाओगी,
अपने अश्कों से तुमको रुलाने आऊंगा!
सुबह को आज ये सोच के निकला हूँ मैं,
उम्मीद के जुगनू लिये शाम घर आऊँगा!
ख़्वाहिश मुझे तेरे दिल आशना बनाने का,
वहीँ पे एक दिन ता-उम्र बसने आऊंगा!
मेरे तुम से कैसे कैसे रिश्ते हैं, जान लेना,
तुमको एक बार फिर से बताने आऊंगा!
बुझ भी जायेंगी ये सांसें कभी न कभी,
उससे पहले रोज़ दिल धड़काने आऊंगा!
जीतने दूँगा तुम्हें हर बाज़ी जो सोची होगी,
फिर मैं अपनी हार का जश्न मनाने आऊंगा! _Mr Kashish
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