जीवन से ऊब कर व्यक्ति मृत्यु की ओर दौड़ता है लेकिन मैं जानती हूँ कि मैं मृत्यु से भी ऊब जाऊँगी एक दिन इसलिए मुझे तलाश है उस संसार की जो जीवन और मृत्यु के उस पार है क्योंकि इस पार तो केवल दो ही चीजें हैं श्वासों का बोझ और मृत्यु का भय
यह लड़ाई, जो की अपने आप से मैंने लड़ी है, यह घुटन, यह यातना, केवल किताबों में पढ़ी है, यह पहाड़ी पाँव क्या चढ़ते, इरादों ने चढ़ी है, कल दरीचे ही बनेंगे द्वार, अब तो पथ यही है