QUOTES ON #जीनेकेबहाने

#जीनेकेबहाने quotes

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12 JUN 2019 AT 7:44

जीतेगा वही इन्सान जिसने हार चखी होगी
मंजिल मिलेगी गर वक़्त की मार चखी होगी

खेल कूद में चाहे कितनी भी गुज़ारी है ज़िन्दगी
कामयाबी है गर माँ-बाप की फटकार चखी होगी

किसी के दर्द की इन्तेहा को तुम समझ कर देखो
दिल दुखेगा गर आँसुओं की बौछार चखी होगी

मंजिल सबको इक ना इक दिन मिल ही जायेगी
चमकेगा वही जिसने ठोकर कई बार चखी होगी

मुझे जीना आता है और मैं जी भी लूँगा ज़िन्दगी
जी लेगा गर दोज़ख़ की आग बेश़ुमार चखी होगी

दूसरों के लिए ज़हर उगलने से क्या होगा "आरिफ़"
बात तो तब होगी जब श़र्म मिरे यार चखी होगी

इबादत करके "कोरे काग़ज़" तभी नेकियों से भरेंगे
ज़िन्दगी झूठ की स्याही को कर दरकिनार चखी होगी

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31 OCT 2020 AT 13:43

यूं हमें ना दिखाया करो ये अश्क💜
कि हम तो अपने अश्क सुखा के बैठे हैं🤞
और वो आए थे कल हमारे दरवाज़े पे💜
पूछा हमसे जनाब आप कैसे हैं..😊
कहा हमने भी सहम के थोड़ा💜
आपकी दुआ है जनाब थोड़ा रोना भूल गए हैं😊
हंसने- हंसाने का शौक चढ़ा के बैठे हैं..🤞🦋
हांजी सही सुना आपने ..!🤞💜
हम जिंदगी से सीख के बैठे हैं।🥰

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18 NOV 2018 AT 13:06

मत देख खुदको उनकी नज़रों से ,
जो तुझको जानकर भी जानते नही ।
अपना कहकर भी अपना मानते नही ।।
खुदकी पहचान अपने कर्मों से रख ,
वो जो तुझे खुदसे वाकिफ करतें है ।
तू कोन है तुझे ये दिखलाते है ।।

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8 OCT 2020 AT 12:54

खुद पर विश्वाश कर, दूसरों से उम्मीदें
रखना छोड़ दिया है, मैंने जीना सीख लिया है।।
खुद से बातें कर, दूसरों की बातों को अनदेखा
करना सीख लिया है, मैंने जीना सीख लिया है।।

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तुम नहीं हो पास,
न होती तुमसे कोई बात,
फिर भी ढूंढ लेता हूं,
हर पल, हर रोज,
जीने के बहाने।
कभी यादों के सहारे,
कभी तुम्हारे दिये,
किताबों के सहारे,
कभी सिर पर सहलाएं,
तुम्हारे उंगलियों के सहारे।
प्रेम के लिए अनगिनत,
शब्दों के सहारे।
तुम्हारे आलिंगन के सहारे,
ढूंढ लेता हूं, जीने के बहाने।
तुम नहीं हो पास तो क्या हुआ,
जीने के बहाने तो हैं।


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12 OCT 2018 AT 20:01

After you broke up
You told me to not
open my mouth about
us; but my fingers
continues to pen
down the pain!

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16 NOV 2018 AT 7:57

न मरने का बहाना है
न जीने का बहाना है
ठंड आ गयी है
मगर रोज नहाना है

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5 DEC 2018 AT 17:51

She
Wished
to be
A princess,
Only till
she didn't
Know she
Would need
A Savior(prince).

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17 NOV 2018 AT 19:54

वोह सोच जो आगे बढ़कर भी बढ़ न सकी..
वोह आंखें जो हमें पढ़कर भी पढ़ न सकी...
बंद है आज भी कई सपने उनलोगों की पाबंदियों मे...
जिस समाज की दुनिया हमारी होकर भी हमारी हो न सकी...

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16 NOV 2018 AT 18:26

मरने के तो हज़ार बहाने थे, लेकिन जीने का सिर्फ एक ,
वो थीं मेरी ज़िम्मेदारियाँ।मेरी ज़िम्मेदारियों ने मुझे जीने पर मजबूर कर दिया।

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