स्याही कम पड़ी होगी...मजबूरियाँ लिखने को, लहू कम पड़ा होगा...अस्पतालों में बिकने को, उम्मीदें जरजर हो गई होगी...पलभर भी टिकने को, ऐसे ही वो बाप...नहीं लटका होगा फंदे में बहुत कुछ होगा, जो पड़ा होगा उसके पीछे...उसे मारने को।।
जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना, सोच पक्की और कदमों में रफ्तार रखना, सफ़लता मिल जायेगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें, बस आगे बढ़ने के लिएं स्वयं को तैयार रखना ।