Writer of The HINDUSTAN🇮 12 MAR 2020 AT 17:45 जानवर भी बोलते हैं,साहबबस उन्हें सुनने और समझने वाला चाहिए। - Rachna Panchhi 2 JUL 2021 AT 9:39 Paid Content - Prateek Arora 1 JUN 2020 AT 13:24 खूबसूरत सी प्रकृति, पशु बने इंसान,मर रहा भविष्य, जानवर बन गया इंसान।। - Mrbenaam 29 MAR 2020 AT 16:54 इन दिनों नहीं देखा लोगों को माँस खाते हुएपता नहीं जानवर प्यारे हो गए या अपनी जान - njoshi🖤 3 JUL 2020 AT 20:53 मानव अधिकारों की बात करते हो तुम! हाँ बहुत सभ्य समाज मे रहते हैं हम....!! अधिकारो की बात होती हैं! जहाँ इंसान को अधिकार दियेकिसी ओर की जिदंगी के क्या ? किस अधिकार मे हैं हम कम से कम जिदंगी का अधिकार तो उनका भी होता होगा?खामोश एक सन्नाटा खैर वही अधिकार इंसान हैं हम हमारा अधिकारपर खुन तो वो भी लाल होता हैं हाँ वो खून भी " खून " होता हैं - Anu Chhangani 27 AUG 2018 AT 13:51 हासिल है बेवफ़ाई मुझे, मरासिम मेरा मवेशी था नही,वफ़ादारी है मजाक, यार मेरा मर्द था टेढी दुम नही ।। - Vihaan 4 JAN 2018 AT 23:40 अंधेरा है। जरा संभल कर निकलना।कई दिनों से इस शहर के भेड़िये भूखे है। - Anuup Kamal Agrawal 10 FEB 2018 AT 9:43 Paid Content - Arif Alvi 19 JUN 2021 AT 20:21 दिन भी सबके ढल रहे हैं ज़िन्दगी को चाह केरात निकली जा रही है रौशनी को चाह के कोई अपना है नहीं अब दोगले हैं सब यहाँजानवर भी सोच में है आदमी को चाह के कुछ सितारे अब बुलंदी की तरफ़ हैं चल दिएचाँद फिर भी है अकेला चाँदनी को चाह के इक मोहब्बत जिस्म की है इक मोहब्बत है वफ़ाबे-वफ़ाई मर रही है बे-ख़ुदी को चाह के चंद सिक्कों में बिके हम चंद सिक्कों के लिएखोटे सिक्के चल रहे हैं बे-बसी को चाह के ज़िन्दगी भी इक घड़ा है आज 'आरिफ़' की यहाँरोज़ कंकड़ डालता है तिश्नगी को चाह के - Monika Agrawal 13 JAN 2018 AT 20:15 तुम जानवर होकर, दरिंदगी कर रहे हो,क्यों बेवजह तुम, आदमी हुए जा रहे हो। -