चाहती हूँ तुझे इतना , पर खुद को नहीं जानती , मिले तुझसे एक अरसा बीत गया , पर खुद को नहीं पहचानती, खोई रहती हूँ हर दम तुझमें , पर खुद से मिलना नहीं जानती !
हां, जानती हूं नहीं हूं मैं काबिल तुम्हारे,हर वक़्त दर्द दे जाती हूं,,, सुनना समझना नहीं रहा परेशानी की वजह बन जाती हूं,,, मुश्किल वक़्त में जो काम आए वो साथ नहीं दे पाती हूं,,, हां, जानती हूं नहीं हूं मैं काबिल तुम्हारे,हर वक़्त दर्द दे जाती हूं,,,