अब ये प्रकृति भी रों रही है,
भारत के भाग्य निर्माताओं से,
एक दूसरे को मार डालो सब,
इन जातिगत व्यवस्थाओं से,
अब भारत की यहीं गुहार हैं
इन जातिवादी नेताओं से,
तुम छोड़ दो मेरे बच्चो को,
मत लड़वाे आपस में,
आएगा जब संकट मुझपे तो,
ये लड़ मरेंगे मेरे इन आंचल में....!
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