इक सफ़र तेरा इक सफ़र मेरा होने लगा
इक शहर तेरा इक शहर मेरा होने लगा
ज़िन्दगी अब बीत गयी इसी भीड़-भाड़ में
दर्द होते हुए भी जिस्म मगर मेरा होने लगा
गुनेहगार कहते हैं लोग अब मुझको बेवजह
मिट्टी में मिला दो अना अगर मेरा होने लगा
गरीबों को कुचलते हैं लोग अब सरेआम यहाँ
मौत किसी और की सिर्फ़ ज़हर मेरा होने लगा
एक ख़ामोशी है फैली अब हर तरफ हर घड़ी
मज़हब के नाम पे जबसे कहर मेरा होने लगा
मेरी हर कहानी में ज़िक्र तेरा ही करता हूँ मैं
ख़ुद ही पढ़ पढ़कर जिस्म अमर मेरा होने लगा
लोग मिलते हैं यहाँ और बिछड़ते हैं "आरिफ़"
सिर्फ़ मोहब्बत है जहाँ दिल उधर मेरा होने लगा
उसकी परेशानियों को "कोरा काग़ज़" न समझो
इश़्क की बारिश है यहाँ कलम इधर मेरा होने लगा
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