कब तक? जब तक मेरी नमी तुम्हारे सीने में उतर न जाये अपनेपन की गर्मी से भाप बन ये उड़़ न जाए। या तबतक, जबतक मेरे बाजुओं की गिरफ्त खु़द-ब़-खु़द ढीली न पड़ जाये।
यूँ आईने के सामने बैठकर रोओगी कबतक.. तुमने ही छोड़ा है मुझे तन्हा तलक अबतक.. बेबसी ही रहेगी तुम्हारे दामन के दरमियान.. मुझे अपनाओगी या भूलोगी नही जबतक..