पूरानी यादों को ताज़ा करके हो गये हैं निहाल,
जिस मिट्टी के ॠणी हम हैं देखकर हुये बेहाल।
अपनों का उद्गार ना पूछें सबके सब है नेहाल,
पास पड़ोसी सब मिलकर पूछें क्यों न आये इतने साल।
कोई सलामती पूछें कोई पूछे बाल-बच्चे के हाल चाल,
कोई पूछे कितने कमाते कोई पूछे बहू के हाल।
बच्चों बूढ़ों को देखकर हम भी हैं खुशहाल,
सबका उद्गार देखकर हम भी हो गये नेहाल
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