ना घर है ना ठिकाना ,इस ठिकुरती ठंड में ढूंढे आशियाना
हाय रे गरीबी महलों के सामने रोड पर सो जाना
पूस की रात, उस पर ओलो की बरसात ,
कैसे निकली जान , ना सोचे जमाना
सुबह सुबह देखें मेरा जनाजा ,कोई ना पूछे किसका है जनाजा
कफ़न की बात छोड़ों, हटाओ जिसका भी हो जनाजा
कब्र की बात छोड़ो , जनाजे की कीमत आज है जाना
प्रयोगशाला में बेच दिया मेरा जनाजा, हाय रे जमाना
हाय रे जमाना
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