जतन खूब किये तुमको पाने के लिए...
कभी मन्नत का धागा, कभी नजूमी का फरमान
कभी सिक्के की उछाल, कभी ख्वाबों के बयान
कभी किस्मत की पर्ची, कभी भगवान को अर्ज़ी
पर ख्वाहिश ऐसी की, चाँद को छूना चाहता हूँ
पर न धागा, न नजूमी, न ख्वाब, न पर्ची,
उम्मीद अब भी है,
ख्वाहिश अब भी है,
की जुस्तजू तुम से है!
_राज सोनी
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