"तेरे होने के... अब भी कुछ निशान बाकी हैं"
मेरे बदन पर, तेरी छुअन के निशान बाकी हैं
मेरे बालों पर, तेरी उंगलियों के निशान बाकी हैं
मेरे कांधे पर, तेरी ज़ुल्फों के निशान बाकी हैं
मेरे पैरों पर, तेरे कदमों के निशान बाकी हैं
मेरे गालों पर, तेरे होठों के निशान बाकी हैं
तेरे होने के, अब भी कुछ निशान बाकी हैं
लकड़ी की उस बैंच पर, हमारे मिलन के निशान बाकी हैं
उस आईसक्रीम स्टॉल पर, हमारे पिघलने के निशान बाकी हैं
उस सिनेमाघर में, 'एक स्ट्रॉ से पीने' के निशान बाकी हैं
उस पार्क की गीली घाँस पर, तेरी-मेरी साँस के निशान बाकी हैं
मेरी रूह में, तेरी मदहोशी के निशान बाकी हैं
तेरे होने के, अब भी कुछ निशान बाकी हैं...
- साकेत गर्ग 'सागा'
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