थोड़ा ज़ाम ज़मीं पे गिरा दिया करो,
इसकी रूह को नशे की ज़रूरत है,
कहीं बवंडर देखो, पिला दिया करो।
अधूरा किस्सा है जो धूल उड़ा रहा है,
हाथों में जाम लो ,दुआ किया करो।
ये तपिश, किसी बेचैनी का सबब है,
चुपचाप से शराब को बरसा दिया करो।
दिलजला कोई ,जो बिफरा सा पड़ा है,
जाम आशिक़ी का ,फिर बढ़ा दिया करो।
वो पत्थरों में फूल ढूंढता है,
कर सराय का इशारा,उसे बहका दिया करो।
ख़ामोश क्यों , किसी सदमे में पड़ा है,
दे जाम का सहारा, उसे समझा दिया करो।
ये अक्सर तुम्हारा नाम लेता है,
कागज़ की कश्ती पे लिख,
बारिश में बहा दिया करो।
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