कुछ चेहरे याद दिलाते हैं ;
सोयें अरमान जगाते हैं।
वो साथ थे तों थी रौनक़ कितनी ;
दूर जाके वो मुस्काते हैं।
परवाह नहीं इन आँसुओ की उन्हें ;
तन्हा करके हमें,,, नये ख़्वाब सजाते हैं।
माना था उन्हें ..ज़ीने की वज़ह ;
वो मरने का सबब बनते जाते हैं।
ना चाह किसी को अब देखने की ;
पास आकर सब आजमाते हैं। ।।
अवतार उन्ही का काफी है ,,,,,,,,
जिनके लिए आसूँ हम बहाते हैं!!!!!!
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