""मौन""
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निस्तब्धता..........
गहन संवेदनाओं के
जाल में उलझा मन
अभिव्यक्ति से मुंह मोड़
एक लंबी चुप्पी को
होंठों पर ओढ़ लेता है,
और अपनी ही कशमकश में
विचारों के समंदर में
डूबता उतरता है ,
तब ये मौन....
कुछ भला सा लगता है।
संभावनाओं की खोज में
मन के अथाह जल में
यहां वहां भटकता है,
ढूंढता है वो सांत्वना भरे
शब्दों की सीपी जो
उसके सुलगते हृदय को
शांत कर उम्मीद के मोती से
आंखों में जीने की एक
नई चमक भर दे , पर
असफलता हाथ लगने पर
मन टीस से भरता है ,
तब ये निर्विकार मौन ...
कुछ भला सा लगता है।
....... निशि..🍁🍁
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