QUOTES ON #चीत्कार

#चीत्कार quotes

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2 DEC 2019 AT 18:51

काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
बँधे रहेंगे तो करेंगे चीत्कार

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20 JUL 2017 AT 10:40

कठघरे में खड़ी वो
रोती रही, सिसकती रही
खुद को कोसती रही.
महँगी पड़ी थी उसे
न्याय की गुहार
किसी ने न सुनी
उसकी चीत्कार.
बाहर इज़्ज़त उतारी गई
अंदर न्याय के नाम पर
इज़्ज़त उछाली गई.
जिन ज़ख्मों पर
मरहम की दरकार थी
उन्हें और कुरेदा गया
उसके ही चरित्र पर
सवाल उठाया गया.
गुनाह करने वाले को
सज़ा मिलेगी, जरूरी नहीं
पर जिसे सहना पड़ा
उसका जीवन
हर पल एक सज़ा बना.

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जो चीत्कार, जो दहाड़ तुमने सुनी नहीं धमाके में
वो चीत्कार, वो दहाड़ हमारी सासों में सुन लो तुम

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1 SEP 2022 AT 19:59

मायूसी और मजबूरियांँ
दीमक की तरह खोखला
कर देती है नारी मन
समाज की कसी हुई बेड़ियाँ
कोमलांगी का मन
कर जाती है लहुलुहान
देह को चीरती अभेद निगाहें
रेंगते अनचाहे स्पर्श
लाचारगी का तमगा थमा जाते हैं
गले में अवकुंठित चीखों
का गरल शनै: शनै:
जीवित मृत्यु की संकरी गलियों
में आधिपत्य स्थापित कर लेता है

परन्तु....झटकना होगा इन
लोलुपता भरे हाथों को
स्वयं के लिए तुझको ही
महाकाली बनना होगा
पाषाण हुई पीड़ा के स्त्रोत
बहाने होंगे...
नारी को नारी के लिए ही
मन के तलघर में विश्वास की
शिलाएं रखनी होगी
पहली चीत्कार नरभक्षियों
के विरुद्ध तुम्हें ही लगानी होगी
तब ही तो आएंगे
द्वारकाधीश
हरने पीड़ा तुम्हारी.!!

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4 AUG 2017 AT 19:38

मैं, तुम और ये कैसा प्रेम!

कितनी ही बेवाकी से कह दिया तुमने,!
नहीं दूँगा अपने रिश्ते को नाम किसी के भी पास,
अगर हम एक ना हो सके तो तुम और जी नही पाओगी!
समाज के ताने बाने से बदनामी हो जायेगी |
एक बार भी तुमने ये नही सोचा....!!!

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21 MAY 2020 AT 9:34


अमीरी गरीबी की खाई यहाँ इतनी गहरी है ,



की अब धरती भी चीत्कार करती है की मैं तो बच्चों में भेद नही करती ।

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15 AUG 2020 AT 0:01

बड़े खुश हैं हम आज़ाद हो कर के,
मगर आज़ादी का मतलब जानते हैं?
कुछ भी करें आज़ाद है अब तो हम,
अधिकार ही हैं,फर्ज़ कहाँ मानते हैं।

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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10 APR 2021 AT 19:07

हे ईश्वर,या अल्लाह, ओ जीसस सुन वाहे गुरु !
कहां रही प्रार्थना में कमी,करें कहां से शुरू?

कर जोडूं,करूं सजदा,प्रेयर के साथ मत्था भी टेकू
आवाज़ न पहुंच रही तुझ तक ऐसा लग रहा मुझको?

हिंदू ने करी गलती,या करी मुस्लिम ने
ईसाई ने न माना या न माना कोई
सिख ने।

बंदे हैं तेरे सब ही ,तेरे सामने हैं बौने
अब तो रह गए सब तेरे हाथ के
खिलौने

भर तू ऐसी चाभी,पटरी पे आए ये संसार
माफ कर हमे तू पार लगा अब मझधार🙏🏼

अनिता शर्मा**त्रिवेणी**

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18 JUN 2020 AT 9:24

चाहत की बात निराली है
निराला उसका अंदाज़ है
यहाँ ज़ुबाँ खोलने की मनाई है
आँखों के इशारों में छिपी हर बात है
कौन हो? कहाँ से आते हो?
ये सब सब बाद की बात है
पूछते हो इसलिए फरमाती हूं
मेरी ही हालत का वो चीत्कार है
अंधकार भरी रात है
इंतज़ार का प्रभात है
बिखरे हुए सपने है
और बिखरे हुए हालात है
साफ नज़र से देखो यहाँ
तो दीवानों की एक भी जात है
कहो उसे याद कर रही शगुन यहाँ
फ़ना हुई है दीवानी नहीं
बस उसके लिए ही इस दुनिया में हयात है

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30 APR 2020 AT 12:37

दुखों की अतिशयोक्ति पर अनुभूतियां रही मेरी
कभी सहज
कभी असहज
हां मुट्ठियों में हिम्मत जरूर बांधा मैंने
किंतु चीत्कार नहीं किया
......
मेरे दुखद अनुभवों का यही एक निष्कर्ष है
दुखों को स्वीकार करने से दुख कम होता है

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