QUOTES ON #चित्त

#चित्त quotes

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5 MAY 2020 AT 8:12

स्त्री है न...
अंशात हो मन , हो चाहे चित्त भारी,
मुस्कुरा के निभाती चहुं ओर की जिम्मेदारी।


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27 FEB 2017 AT 8:16

चाहे सुई में होगा धागा पिरोना
या लगाना हो अचूक निशाना
दृष्टि केंद्रित और चित्त एकाग्र होना चाहिये।

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15 FEB 2021 AT 8:08

# 16-02-2021 # काव्य कुसुम # वसंत #
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वसंत ऋतु कामोन्माद की ऋतु कहलाती है ।

वसंत ऋतु मन को काम-भाव से बहलाती है ।

काम-वासना की अभिव्यक्ति की ऋतु है वसंत-

वसंत ऋतु चित्त को उत्तेजित कर सहलाती है ।

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9 JUN 2021 AT 6:57

# 10 #-06-2021 # काव्य कुसुम # चित्त #
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चिंता से परे हट चिंतन कर चित्त को निर्मल बनाइए।

कर्म जाल में उलझे जीवन को चिंतन से सुलझाइए।

चित्त के शुद्धीकरण से भाग्य हर कार्य में साथ देता है -

दिल में सहिष्णुता के पुष्प खिला चित्त को समझाइए।
=========== गुड मार्निग ===========

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19 DEC 2022 AT 21:52


प्रिय विहीन जीवन ये मेरा .....

जीवन की वीणा का मधुर सुर
विरह सुर में तब्दील हुआ

सपनो का प्रेम मधुर स्पंदन
विरह क्रंदन में परिणत हुआ

अक्षि के दमकते जुगनू अब
मन तिमिर देख अपगमन हुए

जीवन के मधु से मीठे पल
तिक्त हो विरक्त हुए

संग तेरे पुहुप भरे थे पथ
पथ शूलमय पाषाण हुए

तेरे वियोग में प्रियतम
सदन और चित्त तिमिरावृत्त हुए

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योग ;
जहाँ चित्त एकाग्र हो ।
जहाँ स्थिरता हो ।
जहाँ सौम्यता हो ।
जहाँ साधना हो ।
जहां समर्पण हो ।
जहाँ मनुष्य धीर - गंभीर बने ।
जहाँ स्वास्थ्य संतुलित हो ।
जहाँ शांति की पराकाष्ठा हो ,
जहाँ क्रोध का नामोनिशां भी न हो ।

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31 JUL 2022 AT 3:26

चित्त विचित्र होने लगा, तूने प्रेम भांग पिलाई रे.....
ना सुधबुध रहती अब मुझे, तूने चैन छीना हरजाई रे.....

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7 JAN 2021 AT 8:27

चित्तवृर्तियों के आघात सारे
रह रह वेदना में आ भर्मित हुई
पुलक रही चेतना सहज उर में
किन किन आशाओं में ये दमित हुई....

घरघराता है सदा कंठ ये
मौन भीतर ही गूंज........रहा
श्रृंखलाओं सी सिक्त पीड़ा
तकली में है घूम,,,,, मूँज रहा!

काल के कपाल से बृहद जाल से
अनुभूतियां स्वतः उष्मित हुई.....

था ना ले सका कोई संक्षेप में
तल का जर्जर विहंग सुरम्य कोना,
सुनामी सा उच्छश्रृंखल विस्फोट में
रहा बस अतीत के अवशेषों को धोना!

कल्पना के प्राण पखेरू उड़ चले,
सिसकियाँ वर्तमान में विस्मृत हुई....

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हमारे प्रिय शक्तिमान
आप जो TV पर आकर हमें
नित्य नई सीख दिया करते थे
हम मानो आपकी दी हर सीख
रट लेते थे जीवन में
जो आप हर एपीसोड में
हमसे सॉरी शक्तिमान बुलवाते थे
वह हमारे लिए सम्मानार्थी
वाक्य था आपके लिए
हमारे प्रिय शक्तिमान..
वह एक समय था जो
लुभाते थे आपके हर किरदार
होती है एक दिन सत्य की ही जीत
हमारे प्रिय शक्तिमान ..
जो आप घूमकर आसमान में
उड़ कर खो जाते थे
हमने बचपन में बहुत
प्रयास किया, लेकिन नहीं हुआ
कितनी ही बार ध्यान लगाकर
अपने चित्त को एकाग्र करने का
असफल प्रयास किया
हमसे तो ना हुआ वो सब
आज भी आपको बहुत
याद करते हैं ,आप के किरदार
हमारे प्रिय शक्तिमान..

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1 AUG 2017 AT 2:37

आज फिर देखा एक स्वप्न बड़ा!
तुम फिर आये और समीप खड़ा!
मैं फिर भूली सब दर्द भला!
तूने फिर बाहों में डाल लिया!
धड़कन ने फिर मल्हार किया!
तूने फिर मुखमंडल चूम लिया!
मैंने फिर लाज का घूँघट ओढ़ लिया!
तूने फिर अस्तित्व को मान दिया!
मैंने फिर तुझको सम्मान दिया!
एक पल में फिर जैसे ही चित्त खुला!
ना तुम थे ना कोई अपना था!
ये तो बस एक सपना था!
ये तो बस एक सपना था!


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