QUOTES ON #चिठ्ठी

#चिठ्ठी quotes

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20 AUG 2018 AT 8:22

महसूस करने लगी हैं
बंद खिड़कियां
पुरवाईयों का आवेग मन पर
एक अरसे की व्यथा से
विमुख हुए कितने बसंत पतझड़
सहती रही अनुताप
वेदना संवेदना के
लौटाती रही संदेश
उन्मत्त भरे बादलों के ।
छोड़ जाती थी हवाएं
अपने निश्छल
प्रयास के प्रमाण
भींचकर मुठ्ठी में लाए
दो एक फूल
थोड़े से हरे सुनहरे पात
और धूल की सौंधी सौगात।
मौन रहकर भी
बहुत कुछ बोलतीं।
झांक लेती दरारों से
संदेशे भेज कर
खिड़कियों से
हवाएं बोलतीं ।

प्रीति

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1 JUN 2017 AT 10:16

वो चिठ्ठीयों के ज़माने कुछ और थे,
बचपन के ख़ज़ाने कुछ और थे ।
चढ़ती नहीं है शराब अब इन आँखो में
वो शब्दों के मयखाने कुछ और थे।।


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7 NOV 2020 AT 22:48

आई है एक चिट्ठी उस पते से आज,,
जिस पते से कभी हमारी चिठ्ठी लौट कर आती थी।।

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11 MAY 2020 AT 14:41

आज एक पुराना बक्शा हाथ लगा,
उसमें पड़ी थी
कुछ आपकी लिखीं तो कुछ हमारी लिखीं चिठ्ठियां.....
उन्हें देख आज हम फ़िर से दीवाने हो गए,
लग रही थी जर्जरित पर,
हमारे प्यार सी मुस्कुराती वो चिठ्ठियां......
आज इस लेखक की पुस्तकें भी फिक्की हे,
उनके आगे, जब हमने तुम्हे पहेली बार देख,
लिखीं थी वो नादान - नशीली चिठ्ठियां.......
उसमें थी कुछ बाते प्यार की,
प्यार, कस्मे- वादे, इजहार,इन्कार, इकरार,तकरार की,
पर साथ थी हर मोड़ पे ये प्यारी आपकी चिठ्ठियां......
दिल के दर्द से जोड़ो के दर्द का सफर,
यूंही तय नहीं हुआ था,
कुछ तो हाथ जरूर था इस चिठ्ठियों का,
चिठ्ठियां ये चिठ्ठियां प्यारी सी चिठ्ठियां......
चिठ्ठियां ये चिठ्ठियां नादान सी चिठ्ठियां......


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27 JUN 2020 AT 21:37

कुडेदान में गिरी हुई चिठ्ठी की तमन्ना थी यह कि...!!
काश...मुझे भी किसी तकिये के नीचे छुपाया जाता...!!

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18 JAN 2021 AT 9:13

यूँ ना हसरत से ताक हमें हम तो मिट्टी हैं
क्या बाँचेगा तू हमें ..........
मिट गया जो लिखा था,हम वो चिठ्ठी हैं....

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9 DEC 2020 AT 23:10

बहुत खतरनाक
होता है..
चिठ्ठियों का
उन पतों पर
न पहुँच पाना
जिनके लिए
वे लिखी गई होती हैं।
और फिर...
थक-हार कर लोग
लिखना बन्द कर देते हैं।
...
हाँ! चिठ्ठियों का
लिखा न जाना
कहीं अधिक
दर्दनाक है।

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19 JUN 2021 AT 12:24

दिल से दिल तक के एहसास का सफ़र।

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22 APR 2020 AT 15:55

जरूरी तो नहीं कि बार बार दिखाकर
प्यार का इजहार करूँ
पाश्चात्य सभ्यता में I love u कहकर
पलटवार करूँ
कभी तुम मेरी आँखों को भी पढ़ा करो
बंद ज़ुबा के हम्म् को भी समझ जाया
करो..
ये जो तुम बात बात पर मचल जाती हो
तुम नहीं जानती,मेरे मुस्कान को एक नई
वजह दे जाती हो
प्रेम की परिभाषा वो नहीं होती कि तुम्हें
देखे बिना मुझे चैन नहीं मिलता
प्रेम तो वो है कुछ न बोलकर फिर भी
आँखें नम कर जाता है
प्रेम में दूर हो या पास एक दूजे के लिए तो
सिर्फ दुआ माँगता है
तुम्हें खोने के डर से मेरी रूह कांप जाती है
तू मेरे आँगन की तुलसी है,जो आत्मा तक
महका जाती है
तू तुनककर जितनी बार निकलती है,तुझे
पता है?
तू मुझे उतना ही भाती है...ये दिल ही जानता
है...
कि मैं तुझे और तू मुझे कितना प्यार करती है

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22 MAR 2017 AT 20:30

मेरी चौखट पर यादों की बारिश नहीं आती,
इस आँगन में मेरे अब गौरैया भी नहीं आती,
रोज़ बजती है घंटियाँ बेशुमार मेरे फोन में,
एहसासों से भरी पर कोई चिठ्ठी नहीं आती।

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