आज एक पुराना बक्शा हाथ लगा,
उसमें पड़ी थी
कुछ आपकी लिखीं तो कुछ हमारी लिखीं चिठ्ठियां.....
उन्हें देख आज हम फ़िर से दीवाने हो गए,
लग रही थी जर्जरित पर,
हमारे प्यार सी मुस्कुराती वो चिठ्ठियां......
आज इस लेखक की पुस्तकें भी फिक्की हे,
उनके आगे, जब हमने तुम्हे पहेली बार देख,
लिखीं थी वो नादान - नशीली चिठ्ठियां.......
उसमें थी कुछ बाते प्यार की,
प्यार, कस्मे- वादे, इजहार,इन्कार, इकरार,तकरार की,
पर साथ थी हर मोड़ पे ये प्यारी आपकी चिठ्ठियां......
दिल के दर्द से जोड़ो के दर्द का सफर,
यूंही तय नहीं हुआ था,
कुछ तो हाथ जरूर था इस चिठ्ठियों का,
चिठ्ठियां ये चिठ्ठियां प्यारी सी चिठ्ठियां......
चिठ्ठियां ये चिठ्ठियां नादान सी चिठ्ठियां......
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