देह तो, ज़माने की कैद में, रहती है सदा,
अपने परों पर मगर, ख़्वाब उड़ते है मेरे।
दिवस भर,तो कर्म कांड में बंधक बने रहे,
रात गहराई तो ज़रा, मचले है अरमां मेरे।
भावनाएं प्रिय हैं,शब्दों से मुझको इश्क है,
इस तरह से सृजित से, संबंध गहरे हैं मेरे।
आसमां ने सितारों पर,जब नाम मेरा लिखा,
सिंदूरी दीपशिखा से,भर गए हैं, मांग में मेरे।
rajani rights
-