चाहतो का सफर लगता हैं कितना सुहाना भूल कर दुनिया को बसा लेते हैं अपनी अलग ही दुनिया पर ये तो होता हैं बस कुछ पल का ही छलावा मिलता हैं इसमें सिर्फ दर्द का फ़साना
तुझे एहसास नहीं मेरी चाहत का इसलिए बेख़बर हैं तू आज तक मोहब्बत से मेरे वरना न रह पाता तू हमसे इतना दूर जो कर रहे हो अब तक तुम मुझे अनदेखा पर इंतजार है मुझे उस घड़ी का जब समझेगा तू मेरी चाहतो की इंतहा
वो शाम का #धुधलका .. और सुबह की वो लाली. वो झूमता सा #मन्जर ..सब दिशाऐ खाली खाली. तेरी #चाहतो के सपनो को .. बिखरते हुए कही पे, हमने कही देखा था #चाँद को..उतरते हुए ज़मी पे. और चाँदनी की किरणों को .. #बरसते हुए हमीं पे. 🥰😊🥰