काश कि तूने कभी एतबार किया होता हम पर भी।। तेरी कमजोरी नहीं तेरी ताकत बनने की चाहत थी। तेरी खुशी की नहीं तेरे गमों की हमसफर होने की चाहत थी। तेरे हर दर्द और उस दर्द की वजह को दूर करने की चाहत थी। तेरे अश्कों को अपनी पलकों में सहेजने की चाहत थी। अपनी आवाज से तेरी खामोशी को लफ्जों में बयां करने की चाहत थी। अपनी मुस्कान से तेरी उदासियों को दूर करने की चाहत थी। अपने बचपने से तेरी खोई हुई हँसी को फिर से लाने की चाहत थी। अपने आगोश से तेरे दिल के जख्मों पर मरहम होने की चाहत थी। पर,,,काश कि तूने कभी किया होता हम पर भी इतना एतबार।।