QUOTES ON #चाह

#चाह quotes

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14 FEB 2020 AT 21:30

प्रयासरत हूँ निरंतर
लक्ष्य की चाह में....
और चाह भी ऐसे लक्ष्य की
जो निरंतर प्रयास
को प्रेरित करती है।

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4 SEP 2020 AT 7:36

यह ज़िन्दगी खो अपने होश बैठी है
लेके बेबजह कितने अफ़सोस बैठी है,

ख़्वाइशों की पतंग को हवा तार-तार कर गयी
औऱ यह सब देके मुझे ही दोष बैठी है,

जाने किसके इंतजार में हैं यह ख़्वाबों के पाखरू
रात गुज़र गयी अभी भी पत्तों पे ओस बैठी है,

इस ठहरे पानी में कोई पत्थर मारे
के मेरी जिजीविषा बड़ी.. ख़ामोश बैठी है..!

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13 OCT 2019 AT 22:26

जाने कहाँ गयी
वो छुईमुई सी तितली
रंग-बिरंगी सपनों वाली,
अब जाने किस फ़ूल
पे मंडराती है,
पगली.., वो चाह की
ख़ुश्बू बस मुझ से ही आती है.!

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27 SEP 2019 AT 11:41

उसको तन से,
मुझको मन से चाह थी,
उसका छोटा सा सफऱ था
औऱ मेरी लम्बी राह थी,

दूरियों की बस,
यही वज़ह थी...!

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21 NOV 2020 AT 10:40

इसी तरह
झुक न सके दिल तो बंदगी नहीं

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10 AUG 2023 AT 23:10

रात की आंखों से, सुबह की उम्मीद में जागते हुए देखा है।
सुख की चाहत में, इस झूठे संसार में भागते हुए देखा है।।

परम सुख की चाह।
केवल प्रभु की राह।।

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2 APR 2019 AT 1:58

है गर चाह तुम्हें कि समझे तुम्हें, तुम्हारें सिवा भी कोई,
तो वक़्त है अब कि तुम्हें दुनियादारी ये समझनी चाहिये ।।

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29 JUL 2019 AT 20:25

जब भी मैं ज़िन्दगी की कड़ी जोड़ता हूँ
लगता है जैसे मैं अपनी घड़ी जोड़ता हूँ

आपस के झगड़ों में उलझ गया अब ऐसे
जैसे घर की दीवारें करके खड़ी जोड़ता हूँ

मुझसे कभी कोई उम्मीद भी न रखना
अक़्सर उम्मीदें पैरों तले पड़ी जोड़ता हूँ

बेदर्द मुझको ज़माना अब क्यों कहता
श़ायद मोहब्बत दिलों में सड़ी जोड़ता हूँ

बारिश जब भी होगी बता दूँगा मैं सबको
आँसुओं की बूंदें आँखों से झड़ी जोड़ता हूँ

मैंने उनको अपने दिल में छुपाना चाहा था
पर उनकी तस्वीर दिल में जड़ी जोड़ता हूँ

मुझे अब न समझना मैं पागल हूँ "आरिफ़"
बगावत जो सबके मन में अड़ी जोड़ता हूँ

"कोरा काग़ज़" हूँ ज़िन्दा ऐसा ही मरूँगा
छोटी कलम से जो मैं अब बड़ी जोड़ता हूँ

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मुझे पूरा समझने की चाह में ,
लोग बीच में नफरत करने लगते हैं ।

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31 AUG 2019 AT 17:52

उस आशियाने को क्या नाम दूँ
जो तुमने आपने हाथो से बनाया है
जिसके लिये तुमने एक खूबसूरत
सपना अपनी आंखों में सजाया है
ये तो बताओ
कैसे आगाज़ करुं उन लम्हो
का जब तुमने सब भूला कर अपना
सारा वक़्त इसी में लगाया ।
आज मुक्कमल होता हुआ दिखा
तुम्हारा ये सपना ।
जैसे तुमने माना हो उसे जहान
अपना।



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