Mahender Kumar 2 JUL 2020 AT 22:39 हमारा बनना बिगड़ना ही कौन चाक से हैतुझे अबस ही शिकायत हमारी ख़ाक से हैہمارا بننا بگڑنا ہی کون چاک سے ہےتجھے عبث ہی شکایت ہماری خاک سے ہے - Minakshi 2 JUL 2017 AT 11:18 ज़ख्मों से मेरा सीना चाक कर दियाकर के मैली मेरी चुनरिया, दामन अपना पाक कर लिया - दीपिका कार्की 21 MAY 2020 AT 13:44 प्रेम, चाक में चढ़े कच्ची माटी सा,तुम और मैं जैसे एक कुम्हार।साँच हृदय से,मृदुभाव से,स्पर्श करना इसे फिर गढ़ लो चाहे, मनचाहा आकार।। - पल्लव सागर 7 OCT 2020 AT 8:37 दर्द दे जाते है ज़ख्म देने वालेचाक सीते है चुपचाप सहने वालेफिर काशाने में आग लगाते हैंकाँच के घरों मे रहने वालेवक़्त लगता है किनारे पर पहुँचने मेंरोकते है लहरों के साथ बहने वालेऔरों से क्या-क्या शिकायत करे कोईवार करते है अक्सर रफ़ीक कहने वाले - Sunita Sharma 3 JUN 2019 AT 15:04 क़िस्मत की मिट्टी की तासीर देखो चाक पर आते ही टूट जाती है - Pankaj Garg 8 APR 2018 AT 9:32 चाक पर रखी हुई अधूरी मिट्टी सा है शेर मेराजरा अपना हाथ लगा दे तो मुकम्मल हो जाये - Seema Srivastava 18 APR 2019 AT 17:38 शब्द को तब तक चाक से मत उतारो जब तक वह कोई अर्थ ना ले ले....... - Anil Kumar Meena 31 JUL 2020 AT 0:06 में मंदिर का गुम्बद नहींमें घी वाले दिए की लो नहींमें अंजामं नहींमें मृत्युं नहींमें मासूम सा जीवन तेरामें आग़ाज़ तेरामें चाक दिये का तेरामें नीव का पत्थर, जिसपे टीका है मंदिर तेरामेरे होने से तूमेरा नाम लेने का भी रिवाज़ नहीं तेरा - शायर गुमनाम 21 MAY 2021 AT 10:37 चाक-ए-दिल पर खंज़र चलाने की ख़्वाहिश है उनकीक़त्ल न हो जाना बस इतनी सी ग़ुज़ारिश है उनकी..!! - शिवानी (Ladki Nadaan) 2 JUL 2021 AT 15:14 ठोक-ठाक के, ठीक-ठाक सी ज़िंदगी,थोपनी गढ़नी पड़ती है, चाक सी ज़िंदगी। -