QUOTES ON #चट्टान

#चट्टान quotes

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13 JUL 2019 AT 6:55

एक संदूक रखी थी अंदर बहुत अंदर,
सबकी नजर से दूर उसके अंतर्मन में,

चुपके से खुलकर कभी आँसू झलकाती,
कभी बिखेरती कुछ खुशियों के मोती,

कर देती उसे फिर तैयार लड़ने को,
वर्तमान परिस्थितियों से जूझने को,

पहले से मजबूत, आत्मविश्वास लिए
कमरकस कर फिर वह खड़ी हो जाती,

अपनी पहाड़ सी परेशानियों के सामने,
स्वयं उनसे भी बड़ी एक चट्टान बनकर...

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1 JUN 2020 AT 0:05

चट्टानों का वक्ष चीर कर गुज़रना आसान नही होता।
नदी जैसा संकल्प चाहिए अपनी राह बनाने के लिए।।

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11 JUN 2017 AT 22:14

कहीं किसान मर रहा है, कहीं जवान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिन्दुस्तान मर रहा है

बुझ रहे हैं दीप देखो, लौ नहीं है बाती में
चला रहे कुदाल बेटे, भारत माँ की छाती में
मासूमों की चीख, कर रहे सब अनसुना
जन्म ले रहे हैं दानव, मानव की प्रजाति में

जानवर की खातिर, इंसान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

केसरी...सफ़ेद....या हो हरा
हर रंग एक दूसरे से है डरा
दूध की नदी बहा करती थी जहाँ
खून से रंगी हुई है, आज वो धरा

कब्र डर रही है, श्मसान डर रहा है
हिन्दुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

लेखकों से कर रहे, शांति की बात
साहित्य तो करता रहा है, क्रांति की बात
लिखता हूँ जब मैं अशांत होता हूँ
करता हूँ हमेशा, मैं अशांति की बात

शीशों से टकराकर, चट्टान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है।

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28 AUG 2018 AT 13:09

नदी रुक न सकी
चट्टान रोक न सका

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13 NOV 2019 AT 16:11

जब भी तेरा मन घबराए
जब भी रात को नींद न आए
मुश्किल का अंबार लगा हो
कोई विकल्प नजर ना आए
ऐसे समय में बिन घबराए
खुद को चट्टान बनाना होगा
पत्थर तो क्या पर्वत को भी
खुद के दम पर पिघलाना होगा

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2 NOV 2018 AT 22:39

वो कुछ इस तरह
मुझसे 'मोहब्बत निभाती' है
देखती है जब भी मुझे परेशान
'दुआ में हाथ' उठाती है

नहीं आता उसे कहना
ना वो 'हर्फ़ों में जाहिर' कर पाती है
नहीं आती उसे बातें बड़ी-बड़ी
ना 'झूठा दिखावा' कर पाती है

ख़ुद की ख़ुशी में भले ही ना हो
मेरी ख़ुशी में 'मुझसे ज़ियादा ख़ुश' हो जाती है
जो ज़रा भी ग़म घेर ले मुझको
वो अपने 'अश्क़' कहाँ रोक पाती है

जो बढ़ती है मुसीबत मेरी जानिब
वो बन 'चट्टान' खड़ी हो जाती है
दुश्मन जो कर ले रुख़ मेरा
वो 'मेरी शमशीर' बन जाती है

(पूरी कविता कैप्शन/अनुशीर्षक में पढ़ें)

- साकेत गर्ग 'सागा'

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4 APR 2018 AT 23:55

मत बदलो अपने पथ को किसी चट्टानों को देख कर
वो चट्टानें भी तुम्हारी हैसियत देख कर खुद तुमसे टकराने की चाहत लिए आई है।

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27 OCT 2018 AT 5:58

डरा रहीं हैं यह रोज़-रोज़ की मुश्किलें मुझे
पर 'वो' चट्टान बन मेरी हिफ़ाज़त में लगी है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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16 JAN 2020 AT 11:16

दर्द बहती हुई नदी सी है
जो चट्टानों का सीना चीरते हुए
अपनी मंजिल की ओर बहती है।

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28 JUN 2021 AT 14:03

किसी का सरल स्वभाव
उसकी कमजोरी नहीं
होता है।
संसार में पानी से सरल
कुछ भी नहीं है,
किन्तु उसका बहाव बड़ी
से बड़ी चट्टान के भी
टुकड़े कर देता है

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