कोई तो साथ होता,जिसको कह देते,दिल के जज्बात
मन का मीत नहीं है कोई,जिसको कहदें मन की बात
नहीं भरोसा गैरों का है ,कोई तो अपना भी होता
जो सुन लेता,चुप भी रहता,नहीं खोलता राजकीबात
और सुनेंगे ,हंसी करेंगे , छींटा कशी करेंगे ही
इसीलिए यह सोचके चुपहैं,दिल में ही रखें जज्बात
लोग सुनेंगे, शक भी करेंगे , ढेरों प्रश्न करेंगे ही
किस-किस को जवाब देंगे,होंगी जो बातें वाहियात
चटखारे ले लेकर सारे , हंसी मजाक उड़ाएंगे
कैसे फिर सामना करेंगे,सुनेंगे तब किसकिस की बात
नाते रिश्ते बन जाते हैं , मीत ही मन का होता है
एकअदद उससे ही जाहिर,करसकते दिल के जज्बात
मगर,,कोई तो साथ होता....
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