बस लगने ही वाला है ग्रहण कुछ देर में,
फिर मेरा चांद चला जाएगा कुछ देर में,
कितने दिनों बाद तो ये पल आया था,
अभी तो हम खोने ही वाले थे तुम्हारी बाहों में,
कमबख्त ये जालिम दुनिया ना मिलने देगी हम दोनों को,
ऐसे विचार मत लाना अपने दिमाग में, मैं यही मिलूंगा तुम्हें फिर अगली पूर्णिमा की चांदनी रात में,
कि तुम आना फिर से उसी लिवाज में,
मैं यही आंखें बिछा दूंगा तेरे दीदार में....
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