वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के कारण, घोड़े-गधे, सब एक समान हो गए हैं।काबिल धूल फांक रहा है और नाकाबिल मौज उड़ा रहा है।आज अंबेडकर जी की आत्मा भी रो रही होगी, जिन्होंने आरक्षण का प्रावधान जातिगत-समता के लिए किया था, परंतु नेताओं द्वारा इसका इस्तेमाल राजनीतिक गुणा-भाग के लिए अनवरत हो रहा है।
कोई भी समाज एवं देश तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक किसी भी समाज के साथ भेदभाव होता रहेगा।किसी एक को खुश करने के लिए, दूसरे की बलि चढ़ाना, कहां तक उचित है!इससे तो जातिगत भेदभाव एवं द्वेष ज्यादा विकराल होगा, जो कि संविधान के प्रावधानों का भी उल्लंघन है।अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं, जब आरक्षण के विरूद्ध एक प्रचंड आंदोलन शुरू होगा, जिसको संभालना बहुत मुश्किल होगा।नीति-निर्माताओं अब भी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी. इसलिए राजनीतिक-स्वार्थों को छोड़कर, देशहित में फैसला कीजिए।
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