QUOTES ON #घरेलूहिंसा

#घरेलूहिंसा quotes

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4 MAR 2019 AT 12:32

"आख़िर एक पत्नी चाहती ही क्या है, ज़रा सी देखभाल, ज़रा सा समय और ध्यान... तू पढ़ा लिखा होकर ऐसे सोच भी कैसे सकता है, केवल बैडरूम में होने वाला ही प्यार नहीं"....
बालकॉनी में अपने मित्र को फ़ोन पर समझाते हुए वो कह रहा था, उसकी बातों में वजन हमेशा से ही रहा है, आख़िर हो भी क्यों ना, एक सफल लेखक जो अक्सर "स्त्रियों" के इन्ही दबे पहलुओं को कागज़ पर उकेरने में माहिर था।
चाय का कप होंठो से लगाकर, बेडरूम में तैयार हो रही पत्नी को आँखों से ही जल्दी करने का इशारा किया, पर उसे वक़्त लग रहा था, "थप्पड़" के निशान को मेकअप से छुपाने में, छुपाना लाज़मी भी था,
"घरेलू हिंसा" पर लिखी "इनकी" बुक लॉन्च पार्टी में जो जाना था....

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25 MAR 2018 AT 11:12

जिस पायल को तुमने अपने हाँथों से पहनाया था,
पता नहीं क्यूँ अब बेड़ियाँ सी लगती है।
जिन बाँहों में तुमने गले से लगाया था ,
पता नहीं क्यूँ अब वो मुझे ज़ंजीरो सी जकड़तीं है।
सात फेरों का बंधन अब कारावास सा लगता है,
मृत्युदण्ड ही देदो एक बार में ,ह्रदय रोज़ तिल तिल मरता है।

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2 AUG 2018 AT 21:03

ज़िस्म के हर अंग को स्पर्श करवाने की चाहत थी।
फ़रमाइश उसके हाथों से की, क़बूल बेल्ट ने किया।

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29 JUN 2020 AT 10:51

भगवान से गुज़ारिश है कि उन कमजोर हाथों को थोड़ी और हिम्मत और ताक़त दे दिया करे जो सिर्फ औरतों के लिए ही उठते हैं..........

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4 FEB 2020 AT 11:03

मैं पहनना चाहती थी
एक जोड़ी छनछनाती
पायल अपने इन पैरों
में....और लगाना चाहती
थी महावर का गहरा वो
लाल रंग.......

(अनुशीर्षक में) 👇👇

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26 NOV 2018 AT 6:24

मान करती हूँ तहजीब मेरी जुबां है शायद
मैं चुप हूँ इसे मेरी कमजोरी ना समझ !
सहती हूँ गर तेरी तमाम ज़िल्लतों को
मैं औरत हूँ तू बस ये वजह ना समझ !!

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3 MAY 2017 AT 14:12

अगर जन्म से लड़की के शरीर पर कोई निशान हो
तो शादी होने में अनगिनत समस्याऐं आ जाती है

लेकिन अगर शादी के बाद लड़की के बदन पर नीले निशान हो
तो उनसे किसी को कोई समस्या नहीं होती ।।

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24 DEC 2017 AT 16:13



 



      

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21 NOV 2018 AT 1:10

**निशानी **

रोटी सेकते हुए भाप से कल का लगा हाथ का ज़ख्म दर्द को और बढ़ा रहा था। वो कभी ज़ख़्म को फूंक मार कर दर्द को हल्का करने की कोशिश करती कभी रोटी तवे से उतार कर हाथ धोती।
"अरे! कबसे चिल्ला रहा हूँ, रोटी मिलेगी या नहीं।"
"जी, आई!"
भागती हुई वो रोटी ले कर पहुँची ही थी कि अचानक कुछ हुआ, वो फ़र्श पर गिरी ओर कुछ देर आखों के आगे अंधेरा छा गया।
तमाचे के शोर के बाद घर में सन्नाटा सा छा गया था।
उसने होश संभाला, रोटी प्लेट में रख कर, कटे हुए होंठ से बहते खून को साड़ी से पोंछती हुई वापस रसोईघर में चली गई।।

अभी कल का ज़ख्म भरा भी नहीं था उसका और आज एक नए ज़ख्म ने शादी की नयी निशानी दे दी थी उसे।।

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3 JUN 2021 AT 9:49

घरेलु हिंसा

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