QUOTES ON #गज़ल

#गज़ल quotes

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8 JUN 2020 AT 20:16

तुम मेरा गुरुर बनना, मैं आँचल बन जाऊंगा
तुम्हारी अदा सादगी की, मैं कायल बन जाऊंगा।
सदियों तक का साथ, रहेगा मेरा और तुम्हारा..
तुम धरती बन जाना, मैं बादल बन जाऊंगा।।

सरेआम हाथ थाम, लोंगों में पागल बन जाऊंगा।
खूबसूरती में लगाने चार चाँद, तेरा पायल बन जाऊंगा।
यूँ गुनगुनाते रहेंगें हम जिंदगी के फसानें लफ़्ज़ों में...
तुम कुछ शब्द लिखना, मैं एक ग़ज़ल बन जाऊंगा।

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14 MAY 2020 AT 19:03

अब समझी इस दुनिया को जंहा अपने ही सताने लगे
अब समझी इस दुनिया को जंहा भटके राह दिखाने लगे।

पाकर नई नई चमक दमक और नूरे रुप यहाँ
देखो तारे भी अब चांद पर इतराने लगे।

कैसे कसूर वार ठहराये इस जहान में किसी को
यारों मयखाने बोल उठे पैर तेरे डगमगाने लगे

क्यूं आये अपनो को छोडकर चमकती रोशनी में
जहाँ खुद के साये से भी तुम घबराने लगे।

सुनो दोस्तों नये नवेले नोसिखीये आज यहाँ
खुद को सागर 'अजनबी' को दरिया बताने लगे।

सागर 'अजनबी'

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26 JUN 2020 AT 18:08

मेरी बेचैनियों को बरसात की बूदों से भीगा दो यारो।
चार दिवारी में दिन बीत जाता कोई तो हाल बता दो यारो।
कास!कोई जानता कि बेचैनियां कितना दर्द देती है....
इस दर्द की कोई दवा हमारे लिए बता तो यारो।

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1 JUL 2017 AT 3:38

मैं खो गया हूँ कहीं, ज़रा आवाज़ लगा देना
जो दिख जाऊँ कहीं, हाथ पकड़ बैठा देना

कुछ उदास मायूस सा, रहता हूँ आजकल
कोई करतब दिखाकर, ज़रा सा हँसा देना

तवंगर दुनिया नहीं समझेगी मेरी तिश्नगी
तुम चुपके से एक, जाम और पिला देना

मेरे यार का पैग़ाम लिये, ढूँढ रहा है मुझे
उस क़ासिद को तुम, मेरा पता बता देना

सुना है ख़्वाबीदा कहीं सो गया है 'सागा'
जो दिख जाये तुम्हें, उसे ज़रा जगा देना

- साकेत गर्ग 'सागा'

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2 FEB 2020 AT 16:54

कत्ल तो कई नज्म हुए, गज़लों की सजावट देखकर!
हंगामा ही हो गया बज्म में, 'मिशरे' की बगावत देखकर!!

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8 JAN 2018 AT 17:26

वो शख्स सिर्फ गज़लें ही नहीं करता साहब
अपने ज़हन में हर पल यूँ
लफ्ज़ों का कमाल लिए फिरता है!!

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8 MAY 2017 AT 21:05

हमने भी आज महबूब का क़माल देखा है
आँखों में उसकी 'मोहब्बत का' सवाल देखा है

जो हमसे कभी नज़रे भी ना मिलाता था
ज़ेहन में उसके 'अपने लिये' ख़्याल देखा है

तन्हाइयों में रोते-रुलाते कट रहे थे सारे दिन
आज हमने 'सारी रात' मोहब्बत का बवाल देखा है

अब तक थी ज़िन्दगी स्याह काली सी
आज हमने 'रंग-ए-मोहब्बत' लाल देखा है

हर कोई बिक रहा है मोहब्बत के बज़ार में
हमने भी 'बज़ार' में यह दिल उछाल देखा है

सुना है मोहब्बत में बहक जाते हैं ख़्वाब सारे
हमने 'एक ख़्वाब' कईं ख़्वाबों को संभाल देखा है

मोहब्बत में हो जाती है जिस्म-ओ-रूह यार की 'सागा'
हमने भी इस बार 'ख़ुद में से' ख़ुद को निकाल देखा है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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19 MAY 2021 AT 12:08

संभाल कर रखे है,चाहतों के सुनहरे मोती मैनें,
एहसास के धागों में तुम संग,पिरोना अभी बाकी है।

चलते है ये जमीं , ये आसमां , हर पल साथ मेरे,
हाथ पकड़कर तुम संग ,चलना अभी बाकी है।

दर्द लेकर सिमट गये , मौजूदगी की आरज़ू में,
ख़ुशियों की किताब तुम संग,पढ़ना अभी बाकी है।

बयां न कर सकी ज़ुबाँ , तारीखें यूं ही मिट गई,
मेरी क़लम से तमाम जज़्बातों का,लिखना अभी बाकी है।

हर सवाल में कैद हूं,रिहा होने की ख़्वाहिश भी नहीं,
हर एक जबाब तुम संग , ढ़ूढ़ना अभी बाकी है।

सुकून की तलाश, हर लम्हें में सब्र को साथ ले आई,
इश्क का दुआ बनकर,मुकम्मल होना अभी बाकी है।

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28 JUN 2018 AT 12:58

पढती हूँ तन्हाई में तुझ पर ही लिखी गजल साहिब..
हर्फ हर्फ से महकती है खुशबू तेरी यादोँ के गुलाब की..

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19 MAY 2017 AT 16:43

ख़ुदा बन बैठे हो क्यूँ, जब तुम्हे 'ना' साथ निभाना आता है
हँसी क्या, ख़ुशी क्या, तुम्हे तो सिर्फ़ 'हमें' रुलाना आता है

पाक मन वाला हर कोई तड़पता रहता है यहाँ
तुम्हे तो सिर्फ़ 'नापाकों' का साथ निभाना आता है

कभी तो कोई बात बने, कभी तो सुख की छाँव मिले
तुम्हे तो सिर्फ़ दुखियारे को 'और दुखी' बनाना आता है

टेढ़ी चालें चलकर, हुक्मरान बन बैठे हैं सभी
'सीधा चलने वाले' को, हर किसी को गिराना आता है

किससे गिला करेगा, किससे शिक़वा करेगा 'सागा'
जब ख़ुद 'ख़ुदा' को ही, केवल ग़रीब को दबाना आता है
- साकेत गर्ग 'सागा'

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