वो हर बात झुठला रहे हैं ,
गज़ब है !
अपराधियों को रक्षक बता रहे हैं , गज़ब है !
हर तहरीर मिटा रहे हैं , गज़ब है !
अंधे दर्पण निहारते हैं , गज़ब है !
जो मारते हैं कहते हैं हम ही मर रहे हैं, गज़ब है !
नए के ख्वाब में नींद नहीं है पुराने समझौतों पे हैं , गज़ब है !
हवा की आहट भर से सिलवट मिट गया है, गज़ब है !
न्याय की मूरत तराजू में पलड़ा झुका रही है, गज़ब है!
घटित हर घटना काल्पनिक है , ये सुरक्षित लोग सुरक्षा घेरे में कह रहे हैं , गज़ब है !
अजब तो ऐसा गज़ब है दिल्ली भी शरीफ़ों की नगरी है, गज़ब है !
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