QUOTES ON #गुस्ताख़

#गुस्ताख़ quotes

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16 NOV 2017 AT 8:34

कोई रिवाज़ कोई उसूल कोई धरम इश्क़ में चला है भला
बड़ा ही बेशरम, बेअदब और गुस्ताख़ होता है ये इश्क़

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19 JUN 2017 AT 13:48

कुछ कहने सुनने की,
मोहलत भी नही देती ,
बिन बताए कभी भी ,
साथ छोड़ देती है
यादों की तरह ही
बदतमीज़ ,बेअदब,गुस्ताख़
होती हैं ये साँसे.....



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25 JUN 2017 AT 15:34

गुस्ताख़ हैं,
ये निगाहें,
इश्क़ झरोखे में,
तुम्हें तलाशती हैं !

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13 FEB 2020 AT 19:04

हमारी सादगी पर न जाइये ज़नाब..हम तो वो गुस्ताख़ हैं .....
जो अपनी निग़ाहों से खुलेआम ....चाँद को भी चूम लेतें हैं ..!!

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10 DEC 2020 AT 6:21

ख़याल ये मेरे गुस्ताख़ हो गये।
बिन मुँह लगे ही राख हो गये।

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30 APR 2017 AT 0:19

मुझे उस दिन की फ़िराक है ,
थोड़ी इज़्ज़त की मुराद है ,
दिल और  दिमाग भी पाक है ,
माना दिल थोड़ा गुस्ताख़ है ,
पा लें उस मुकाम को 
बस इतनी सी आस है ,
इसके लिए तो ज़िन्दगी का 
हर पल ख़ास है ,
कुछ पा न सके तो ये 
ज़िन्दगी ही बर्बाद है ,
करना होगा खुद ही को 
ये दुनिया तो दगाबाज़ है ,
मुझे उस दिन की फ़िराक है |

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26 MAR 2020 AT 10:28

दर्द कुछ उकेरे हैं मेरे अपनों ने,
गैरों का मरहम लगाना अच्छा है...

है रिवायत खास उनकी जान लेने की,
जान लेकर फिर बचाना अच्छा है...

मैकदा बदनाम है जमाने में यूं ही,
उनका अधरों से पिलाना अच्छा है...

कितने इल्ज़ामों को सर पे रक्खें हम,
कुछ को पैरों से ठोकर लगाना अच्छा है...

तेरी बातें याद करके दर्द होता है,
रोने का ये इक बहाना अच्छा है...

जब हो बाहर में ख़तरा जान जाने का,
" गुस्ताख "घर में ही ग़ज़लें बनाना अच्छा है...

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गुस्ताख़ियों की राख में,
गलती से सुलगी आग में,
अब माचिसें ना खोजीये
थीं रंजिशें, ना सोचिये।
होंगे गर्म हाथ तापिये
पड़ सोच में ना काँपिये।

थाली में परसा जो भी हो
कोई भूखा तरसा हो तो हो
सच कड़वे हैं ना चाखिये!
क्या कुछ जला ना आँकिये!
हैं ठंड हाथ तापिये
पड़ सोच में ना काँपिये।

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22 JUN 2020 AT 18:10

कभी तो अयादत पूछने आओ
इस इश्क़ के मरीज का

कि हक़ीम ने इलाज़ में आपका
दीदार लिखा है।।

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28 DEC 2019 AT 15:42

कुछ तो हुआ होगा इन गुस्ताख़ आँखों से,
जो नज़र पड़ने से पहले ही नजर फेर ली...

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