जन्मदिन कल सुबह सुबह डोरबेल बजी ।दरवाजा खोला तो घर के बाहर कोई नही था।तभी हमारी निगाह फूलों के गुलदस्ते पर पड़ी और सोच में पड़ गए काफी देर तक खड़े रहे कि शायद कोई छिप गया हो।फिर हमने उन फूलो की तरफ देखा कि कहीं कोई बम्ब तो नही है इसमें। हिम्मत कर उसे देखा तो उस पर बिलेटिड हैप्पी बर्थडे मंजू और बड़े बड़े अक्षर में सॉरी लिखा था। ना कोई विश करने वाले का नाम था ना अता ना पता ।दूसरा झटका फिर हमारी दोस्त ने दिया कि कल तुझे विश नही कर पाई सॉरी।इसलिए आज विश कर रही हूँ फिर उसका काल भी आया जो हम उठा नही पाए 19 का तो 16 बना सकते थे पर 18 का 16 कैसे बनाते।
सवाल हूँ कई लोगों का जिसका कोई जवाब नहीं दिल में कुछ चेहरे पर कुछ पहना ऐसा नकाब नहीं दिल ना ही लगाओ मुझसे तो तुम्हारी ही भलाई है मैं कांटा हूँ गुलदस्ते का समझना कोई गुलाब नहीं
न गुल चाहिये न तुझसे गुलदस्ता चाहिये मुझे तो बस तेरा चेहरा मुस्कराता चाहिये तुम गगन सी ऊंचाई पर खूंब आना जाना मुझे बस तुम तक आने का रास्ता चाहिये तुम रनिवासो में खूब करो रनिवास सदा इस गुलाम को बात करने वास्ता चाहिये अब तुम पर होगी फूलों की बरसात सदा मेरी चाहत स्नेह का बादल बरसता चाहिये
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