कई दिनों से निक्कमा बेकार सा पड़ा हूँ ख़्वाबों ख़्वाइशों पे धूल सी ज़मीं है,
जाने ऐसा क्यूँ लगता है के मैं कहीं खो सा गया हूँ या शायद कोई रख के मुझे भूल गया है, .............................. ..... ...... .... .. ........ ...... ........................... ........... ............... ......... वो पहले सा.. किसी को मैं कहीं मिलूँ तो बताना मुझे!
आकाश में जैसे चंदा धरती पे नदिया का पानी तेरी चाल में हो रवानी बस यही है जिन्दगानी|
छोटे से ही जीवन में फूल दे जाते हैं लाखों खुशियां बैठा रहे ना यूं गुमसुम उदासी में खो न घड़ियां ये जीवन तो दीवाने दुख-सुख की है कहानी कभी कम कभी ज्यादा बस यही है जिन्दगानी|
रूकने वाले को राही मंजिल मिलती नही है एक बार जो छूट जाए वो जिंदगी फिर मिलती नही है रच अपने हौंसलों से हर पल एक नई कहानी तू छू ले अपना आसमां क्यूंकि 'छोटी सी है जिन्दगानी '|.......निशि